वायु प्रदूषण प्राणी तथा मनुष्य जीवन के लिए सबसे आवश्य तत्व वायु है। मनुष्य खाना खाये बिना 20 दिन तक रह सकता है। पानी पिये बिना 2 दिन तक रह सकता है। परन्तु वायु के बिना मनुष्य मात्र 1 मिनट ही रह पाता है जो भी अधिकतम है। अतः वायु शरीर के किये अति आवश्यक तत्व है। मनुष्य शरीर 2.5 मिनट में 19 लीटर हवा अपने अंदर ले लेता है। मनुष्य का शरीर वायु में उपस्थित ऑक्सीजन का उपयोग करता है जो रक्त के लिये आवश्यक है।ऑक्सीजन के द्वारा ही रक्त शुद्ध बना रहता है। ये तो बात हुई वायु के महत्व और उपयोग की। अब हम बात करते हैं वायु के प्रदूषित होने पर। वायु के इतने आवश्यक तत्व होने के बावजूद भी आज मनुष्य ने इसे प्रदूषित कर दिया है। वायु में धूल कण, विषैली गैस तथा अन्य अनावश्यक पदार्थों के घुल मिल जाने को वायु प्रदूषण कहते हैं। वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत निम्न है- 1. बिजली संयंत्रों की चिमनियों से निकलने वाला धुँआ। 2. यातायात साधनों से निकलने वाला धुँआ। 3. खेतों में दहन पद्धति तथा रसायनों के द्वारा। 4. आग लगने तथा भट्टियों से आने वाला धुँआ। 5. घेरलू उपकरणों जैसे फ्रीज़ ऐ.सी. से निकलने...
हमारी पृथ्वी का बढ़ता तापमान प्राणी जगत ही नही अपितु पादप जगत के जीवन के अनुकूल तापमान का होना आवश्यक है। किसी मनुष्य के लिए 18℃-22℃ तापमान अनुकूल होता है। प्रदूषण के चलते आज पृथ्वी का तापमान बढ़ता ही चला जा रहा है। 2018 के मई महीने की बात की जाए तो 137 वर्षों के बाद मई महीना दूसरी बार गर्म रहा। इसी तरह तापमान बढ़ता रहा तो जीवन खतरे में आ जायेगा। भारत देश में लू की चपेट में आने से पिछले वर्ष से भी अधिक लोगों की मृत्यु हुई जो निरन्तर बढ़ती जा रही है। वातावरण के बढ़ते तापमान का मूल कारण प्रदूषण है जो स्वयं मनुष्य ही फैला रहा है। मनुष्य अपनी आबादी बढ़ाता जा रहा है और आबादी के बढ़ने से आवास की व्यवस्था के लिए जंगलों की कटाई की जा रही है। मैदान निकाले जा रहे है। वृक्षों की संख्या में निरन्तर कमी से ही पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। मनुष्य ही पृथ्वी के तापमान बढ़ाने में उत्तरदायी है। आजोन परत का क्षय होना सबसे बड़ा खतरा है। ओज़ोन परत के छिद्र से आने वाली पराबैंगनी किरणों से अनेकों बीमारी फैले जा रही है। तापमान वृद्धि से ग्लेशियर इत्यादि पिघल रहे हैं जिससे जल संतुलन बिगड़ रहा है। ...