जैव विविधता
जीवन और विविधता के संयोग से बना यह शब्द प्रकति में मौजूद जीवन की विविधता को संदर्भित करता है।जैव विविधता से आशय पृथ्वी पर मौजूद अनेक जैव प्रजातियों से है। जिनका प्रकृति में विभिन्न योगदान है।
जैव विविधता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम प्रयोग वैज्ञानिक रेमंड एफ. डेसमैन ने किया था।
जैव विविधता का प्रकृति में विशेष योगदान है। परंतु दुख की बात है कि पृथ्वी पर आज कई प्रजातियां ख़तरे में है। पृथ्वी अपने आयुकाल मे 5 से अधिक महाविनाश देख चुकी है और इसी विनाशक्रम में अनेकों प्रजाति एवं वनस्पतियों का विनाश हुआ है। 5वें महाविनाश में ही डायनासोर जैसे महाकाय जीव भी विलुप्त हो गए। अब छठे विनाश का भी दौर शुरू हो चुका है।
आज पृथ्वी से अनेकों प्रजाति विलुप्त हो गई है। गिद्धों की संख्या लगभग समाप्त ही हो चुकी है। गौरेया की प्रजाति भी विलुप्ति के कगार पर है। शेरों की संख्या कम हो चुकी है। चीता लगभग 7000 की संख्या में ही है। कई ऐसे जीव जिनका प्रकृति में विशेष योगदान था वो सब विलुप्त हो चुके हैं। ऐसे ही हजारों जानवरो की संख्या कम होती जा रही है जो एक बहुत अधिक चिंता का विषय है।
अगर इसी तरह जैव विविधता खतरे में चलती रही तो जल्द ही जीव जगत भी खतरे में आ जायेगा। इस विषय को गंभीरता से देखने की आवश्यकता है नही तो मानव प्रजाति, सभ्यता एवं संस्कृति खतरे में आ जायेगी।
परन्तु इस विषय में जागरूकता ना होने के कारण अनेक देश इसे गंभीरता से नही लेते हैं और इसी बीच यदि तृतीय विश्व युद्ध होता है तो विनाश की गति तांडव का रूप ले लेगी।
अगर इस महाविनाश को रोक कर जैव विविधता को संतुलित नही किया तो मानव सभ्यता का मिटना तय है।
अतः जैव विविधता के बारे में समझें।
जंतुओं, पेड़-पौधों, जंगलों, पहाड़ों, मैदानों एवं अन्य प्राकृतिक सम्पदाओं की रक्षा की जिम्मेदारी लें।
जैव विविधता विश्व की धरोहर है।
Save earth🌍
निवेदक एवं लेखक :-
Comments
Post a Comment