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Global warming - A fire demon

हमारी पृथ्वी का बढ़ता तापमान

प्राणी जगत ही नही अपितु पादप जगत के जीवन के अनुकूल तापमान का होना आवश्यक है। किसी मनुष्य के लिए 18℃-22℃ तापमान अनुकूल होता है।
प्रदूषण के चलते आज पृथ्वी का तापमान बढ़ता ही चला जा रहा है। 2018 के मई महीने की बात की जाए तो 137 वर्षों के बाद मई महीना दूसरी बार गर्म रहा। इसी तरह तापमान बढ़ता रहा तो जीवन खतरे में आ जायेगा।
 भारत देश में लू की चपेट में आने से पिछले वर्ष से भी अधिक लोगों की मृत्यु हुई जो  निरन्तर बढ़ती जा रही है।
वातावरण के बढ़ते तापमान का मूल कारण प्रदूषण है जो स्वयं मनुष्य ही फैला रहा है। मनुष्य अपनी आबादी बढ़ाता जा रहा है और आबादी के बढ़ने से आवास की व्यवस्था के लिए जंगलों की कटाई की जा रही है। मैदान निकाले जा रहे है।
वृक्षों की संख्या में निरन्तर कमी से ही पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है।
मनुष्य ही पृथ्वी के तापमान बढ़ाने में उत्तरदायी है।

आजोन परत का क्षय होना सबसे बड़ा खतरा है। ओज़ोन परत के छिद्र से आने वाली पराबैंगनी किरणों से अनेकों बीमारी फैले जा रही है।

तापमान वृद्धि से ग्लेशियर इत्यादि पिघल रहे हैं जिससे जल संतुलन बिगड़ रहा है। कहीं पर सूखा है तो कहीं पर बाढ़ का प्रकोप देखने को मिलता है।
इन संकटो के देखते यदि तापमान पर नियंत्रण नही किया गया तो जीवन जीना दूभर हो जाएगा। तापमान वृद्धि के चलते ना अनुकूल वातावरण रहेगा ना पीने को पर्याप्त जल रहेगा।
तापमान वृद्धि पर नियंत्रण के लिए सिर्फ एक ही उपाय है- वृक्षारोपण।🌱
अधिक से अधिक वृक्ष लगाएं।
यदि एक पेड़ काटना भी पड़े तो उसके बदले पाँच पेड़ अवश्य लगाए।
हमारा मूल कर्त्तव्य है कि हम पृथ्वी की हर प्रकार से रक्षा करें।
अमूल्य तत्वों को बचाएं इन्हें व्यर्थ ना करें।
आपका अपना

रवि शर्मा

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