Skip to main content

Water - a priceless honeydew

जल ही जीवन🚰


जल एक ऐसा तत्व है जिसकी आवश्यकता प्राणीजगत👨‍👩‍👧‍👧 को ही नही अपितु पादप जगत🌱 को भी है।
प्राणी जगत और पादप जगत दोनों के लिए ही जल एक अतिआवश्यक तत्व है।
जल नही हो तो इस पृथ्वी पर ना तो पेड़-पौधे रहे ना कोई प्राणी ही रहे। सर्वविदित है कि पेड़ ही नही होंगे तो प्राणियों का तो रहना ही असम्भव है।
जल एल अमूल्य तत्व है। सोने 💰चांदी अमूल्य रत्नों💎 के बिना मनुष्य रह सकता है परंतु जल के बिना कतई नही रह सकता है।🚷 अतः जल एक आवश्यक तत्व है।✅
मनुष्य का शरीर ही 65-80% जल से ही बना हुआ है। 🧖🏻‍♂
अतः जल बिना प्राणी जगत का कोई अस्तित्व नही है।
जल के इतने अनमोल होने के बावजूद भी स्वयं मनुष्य ही इस अनमोल तत्व को अनुचित दोहन करके व्यर्थ कर रहा है। स्वयं मनुष्य ही जल प्रदूषण के लिए उत्तरदायी है।🚯
जल के अनुचित दोहन से आज जल स्तर बहुत नीचे चला गया है। जिससे पीने के जल की गंभीर समस्या पैदा हो गई है।
यदि जल का ये अनुचित दोहन नही रोका गया तो शीघ्र ही पृथ्वी से जीवन समाप्त हो जाएगा।⚠
अतः जल अनमोल है। इसे व्यर्थ ना बहाएं।🙏
निवेदक एवं लेखक :-

रवि शर्मा

Comments

Popular posts from this blog

पर्यावरण पर निबंध

विश्व पर्यावरण दिवस – 5 जून 🍀🌿🌱🌴🌳🌲🍃🌲 हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day (WED)) मनाया जाता है। यह दिन पर्यावरण के ज्वलंत मुद्दों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने और इस दिशा में उचित कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र (United Nations) का प्रमुख साधन है। देखा जाए तो ये दिन हमारे भविष्य के बारे में है। अगर हमारा पर्यावरण नहीं बचेगा तो हम भी नहीं बचेंगे। इसलिए Earth Day के साथ-साथ यह दिन बाकी सभी दिनों से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि बाकी दिन तभी मनाये जा सकते हैं जब उन्हें मनाने के लिए हम बचे रहें और विश्व पर्यावरण दिवस हमे बचाने की दिशा में एक बेहद ज़रूरी कदम है। 👉आधिकारिक तौर पर विश्व पर्यावरण दिवस पहली बार 5 जून 1974 को मनाया गया और तब इसकी थीम थी – “Only One Earth”🌳 *आज धरती माँ रो रही है क्योंकि-* 👉मनुष्यों की वजह से आज जीव-जंतुओं के विलुप्त होने की दर जितना होनी चाहिए थी उससे 1000 गुना अधिक है। 👉वैज्ञानिक कहते हैं कि – 20,000 से अधिक जीव-जंतु हमेशा के लिए विलुप्त होने की कगार पर हैं। अगर आप 90s के पहले ...

Air Pollution - A disaster

वायु प्रदूषण प्राणी तथा मनुष्य जीवन के लिए सबसे आवश्य तत्व वायु है। मनुष्य खाना खाये बिना 20 दिन तक रह सकता है। पानी पिये बिना 2 दिन तक रह सकता है। परन्तु वायु के बिना मनुष्य मात्र 1 मिनट ही रह पाता है जो भी अधिकतम है। अतः वायु शरीर के किये अति आवश्यक तत्व है। मनुष्य शरीर 2.5 मिनट में 19 लीटर हवा अपने अंदर ले लेता है। मनुष्य का शरीर वायु में उपस्थित ऑक्सीजन का उपयोग करता है जो रक्त के लिये आवश्यक है।ऑक्सीजन के द्वारा ही रक्त शुद्ध बना रहता है। ये तो बात हुई वायु के महत्व और उपयोग की। अब हम बात करते हैं वायु के प्रदूषित होने पर। वायु के इतने आवश्यक तत्व होने के बावजूद भी आज मनुष्य ने इसे प्रदूषित कर दिया है। वायु में धूल कण, विषैली गैस तथा अन्य अनावश्यक पदार्थों के घुल मिल जाने को वायु प्रदूषण कहते हैं। वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत निम्न है-  1. बिजली संयंत्रों की चिमनियों से निकलने वाला धुँआ। 2. यातायात साधनों से निकलने वाला धुँआ। 3. खेतों में दहन पद्धति तथा रसायनों के द्वारा। 4. आग लगने तथा भट्टियों से आने वाला धुँआ। 5. घेरलू उपकरणों जैसे फ्रीज़ ऐ.सी. से निकलने...

Global warming - A fire demon

हमारी पृथ्वी का बढ़ता तापमान प्राणी जगत ही नही अपितु पादप जगत के जीवन के अनुकूल तापमान का होना आवश्यक है। किसी मनुष्य के लिए 18℃-22℃ तापमान अनुकूल होता है। प्रदूषण के चलते आज पृथ्वी का तापमान बढ़ता ही चला जा रहा है। 2018 के मई महीने की बात की जाए तो 137 वर्षों के बाद मई महीना दूसरी बार गर्म रहा। इसी तरह तापमान बढ़ता रहा तो जीवन खतरे में आ जायेगा।  भारत देश में लू की चपेट में आने से पिछले वर्ष से भी अधिक लोगों की मृत्यु हुई जो  निरन्तर बढ़ती जा रही है। वातावरण के बढ़ते तापमान का मूल कारण प्रदूषण है जो स्वयं मनुष्य ही फैला रहा है। मनुष्य अपनी आबादी बढ़ाता जा रहा है और आबादी के बढ़ने से आवास की व्यवस्था के लिए जंगलों की कटाई की जा रही है। मैदान निकाले जा रहे है। वृक्षों की संख्या में निरन्तर कमी से ही पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। मनुष्य ही पृथ्वी के तापमान बढ़ाने में उत्तरदायी है। आजोन परत का क्षय होना सबसे बड़ा खतरा है। ओज़ोन परत के छिद्र से आने वाली पराबैंगनी किरणों से अनेकों बीमारी फैले जा रही है। तापमान वृद्धि से ग्लेशियर इत्यादि पिघल रहे हैं जिससे जल संतुलन बिगड़ रहा है। ...